पूर्व में भी वन भूमि की गलत जानकारी देने जांच में हुआ था खुलासा

लाखो के पौधरोपण में ही बचे है गिनती के पेड़
सारंगढ़ बिलाईगढ़ //वन विभाग सामान्य में पदस्थ एसडीओ अमिता गुप्ता की जांच पर कई सवाल उठ रहे है, जिसकी जांच में बड़ा खुलासा हुआ है।खबर का बड़ा असर हुआ देखने को मिला है। 6 महीने बाद आधे एकड़ से अधिक जमीन निकला वन विभाग और शासकीय ,मामले को दबाने वन विभाग ने पूरी कोशिश की एसडीओ अमिता गुप्ता ने पूरी जांच की फाइल बनाई और कोई वन भूमि नहीं कहते मामला रफा दफा कर दिया गया था लेकिन सच को गलत साबित नहीं कर पाई। वन विभाग की अधिकारी अपने ही जाल में और बुरी तरह से फंसती नजर आ रही है,और जब 6 महीने बाद पुनः जांच में हुआ जिसमें वन विभाग की अधिकारियों का असली चेहरा देखने को मिला। दरअसल मामला 6 महीने पीछे का है ग्राम हट्टापाली में किसान योगेश पटेल ने मदन नायक की जेसीबी और ट्रैक्टर से अपनी निजी भूमि के साथ वन विभाग और शासकीय भूमि पर अतिक्रमण कर रहे थे जिस पर वन विभाग ने पहले दबिश देकर जेसीबी ट्रैक्टर जप्त कर लगभग 3 महीने तक रखा और फिर उसे चंद रूपये मुआवजा लेकर गाड़ी छोड़ दिया गया था मामला धीरे से मिडिया तक आई खबर चला और फिर से जांच हुआ तो वन विभाग की 11 डिसमिल भूमि ,और 42 डिसमिल शासकीय ऑरेंज एरिया जांच में अतरिक्त पाया गया कार्यवाही की फाइल रेंजर सेवक राम बैगा ने एसडीओ अमिता गुप्ता को सौंपा ।

जब वन विभाग स्वतः संज्ञान लेकर गाड़ी पकड़ी लेकिन कुछ महीनो बात छूट गया इस संबंध में रेंजर सेवक राम बैगा ने एसडीओ अमिता गुप्ता को जांच की पूरी फाइल सौंपा था यही से उसके बाद शूरू होता है वन विभाग की भ्रष्ट कार्यवाही का फाइल आपको बता दें एसडीओ अमिता गुप्ता पहले मीडिया में बयान देते हुए कहती है कि वन विभाग जरूर पकड़ा था लेकिन वन विभाग की कोई जमीन नहीं थी, राजस्व एरिया होने की वजह से राजस्व विभाग मामले को भेज दिया गया था लेकिन आज जांच में वन विभाग का 11 डिसमिल जमीन निकला और इतना ही नहीं शासकीय ऑरेंज एरिया 42 डिसमिल भूमि भी निकला और पहले एसडीओ अमिता गुप्ता द्वारा मीडिया को अपनी बयान में कहा कि कोई मुनारा नहीं तोड़ा गया और कोई cpw नहीं तोड़ा गया लेकीन आज जांच हुआ तो cpw 8 मीटर तक तोड़कर खेत बनाया गया अब सवाल यह है कि cpw तोड़ा गया लेकिन एसडीओ कहती है कोई cpw नहीं टूटा आखिर क्यों छुपाया गया सच ! इससे साफ जाहिर होता है कि एसडीओ अमिता गुप्ता द्वारा खुद ही भ्रष्ट जांच कर मामले में लीपा पोती किया गया। सूत्र की माने तो मोटी रकम से मामला दबाया गया था लेकिन पुनः जांच में सब सामने आ गया

एसडीओ वन विभाग का जज होता है जिनकी कंधों पर जंगल को बचाने और जो जंगल को नुकसान पहुंचाता हैं उसे कड़ी सजा देने का काम करता है ताकि कोई जंगल से खिलवाड़ न करे लेकिन यहां तो एसडीओ द्वारा ही मामले को दबाने प्रयास किया गया और सीधा मामला को रफ़ादफा कर दिया गया, अगर किसी विभाग का जिम्मेदार अधिकारी ऐसा करतूत करने लगे तो उस विभाग का क्या होगा यह सबसे बड़ा सावल है,इतना ही नहीं मामला 6 महीने पीछे का है लेकिन न तो वन विभाग ने अपनी 11 डिसमिल जमीन को सुरक्षित किया। 42 डिसमिल भूमि ऑरेंज एरिया को न तो वन विभाग ने और ना ही राजस्व विभाग ने सुरक्षित किया बल्कि कार्यवाही के नाम पर लीपा पोती कर गाड़ी छोड़ा दिया गया और कब्जाधारी योगेश पटेल को जमीन मानो दान में दे दिया जहां आज की जांच करने पर उसमें खेती करना पाया गया। अगर मामला उजागर नहीं होता तो आज भी 53 डिस्मिल वन विभाग और शासकीय ऑरेंज एरिया की जमीन कब्जाधारी के पास ही रहता फिलहाल ऐसे अधिकारी पर तत्काल कार्यवाही होना चाहिए जिन्होने खुद के विभाग की जमीन को संरक्षित करने की बजाय मामला को रफा दफा करने में अपनी पद और पावर का दुरुपयोग किया। वही लाखों रुपए खर्च करके जो पौधरोपण किया गया है उसमे से अब गिनती के पेड़ ही बचे है।आज प्रेस क्लब सारंगढ़ के पदाधिकारी व सदस्यों ने एसडीओ अमिता गुप्ता के विरुद्ध कार्यवाही हेतु ज्ञापन सौंपा जिस पर कलेक्टर ने शीघ्रता से कार्यवाही की बात कही है।

